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तब और अब लेखनी प्रतियोगिता -12-May-2022

एक जमाना था जब पूरा घर एक तौलिया से ही नहाता था।

बंच्चा स्कूल की हुई पिटाई घर आकर कभी नही बताता था।
पिताजी की ऊपर से मार का डर हमे बहुत ज्यादा सताता था।
बूआ के आजाने से पूरे घर में शान्ति का माहौल बन जाता था।।
माँ का चूल्हे की गरम गरम रोटी खिलाना बहुत  याद आता था।
बडे़ भाई के कपडे छोटे हौना मुझे मिलना बहुत अच्छा लगता था।।
छोटा होकर माँके पास  हक से सोना आज तक याद बहुत आता है।
बूआ फूफा नाना नानी मामा मामी सब पर हक जमाना याद आता है।।
पर आज अलग तौलिया माँ के प्यार को तरसना सब कुछ भूल गये।
अब रोजी रोटी की दौड़ में बापू की मार दादी का दुलार भी भूल गये।।
याद रहा भारी बस्ते का बोझ पिज्जा खाने की दौड़ मे खीर भूल गये।ऐसा कानून बना कि आज के टीचर डर से मार लगाना  भी भूल गये।।

दैनिक लेखनी काब्य प्रतियोगिता के लिए रचना।

नरेश शर्मा
12/05/२०२२




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18 Comments

Seema Priyadarshini sahay

14-May-2022 06:40 PM

बहुत खूबसूरत

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Anam ansari

14-May-2022 09:27 AM

Nice

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Naresh Sharma "Pachauri"

14-May-2022 08:24 AM

सभी साथियौ को बहुत बहुत धन्यवादजी

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